प्रेम धवन
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प्रेम धवन
हिन्दी फिल्मों के मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को अम्बाला में हुआ और लाहौर में स्नातक की शिक्षा पूरी की। आपने हिन्दी फिल्मों के लिये कई मशहूर गीत लिखे। प्रेम धवन ना केवल गीतकार थे, वरन आपने हिन्दी फिल्मों के लिये कुछ फिल्मों में संगीत दिया, नृत्य निर्देशन किया और अभिनय तक किया।
जन्म की तारीख और समय: 13 जून 1923, अम्बाला
मृत्यु की जगह और तारीख: 07 मई 2001, मुम्बई
इनाम: राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ गीत
प्रेम धवन रेडियो
महान गीतकार,संगीतकार,नृत्य निर्देशक प्रेम धवन की पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि
प्रेम धवन हिंदी सिनेमा जगत् के मशहूर गीतकार थे। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कई मशहूर गीत लिखे। प्रेम धवन ना केवल गीतकार थे, वरन् इन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कुछ फ़िल्मों में संगीत भी दिया, नृत्य निर्देशन भी किया और अभिनय भी किया। प्रेम धवन ने पं.रवि शंकर से संगीत एवं पंडित उदय शंकर से नृत्य की शिक्षा ली। भारत सरकार ने प्रेम धवन को 1970 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
जीवन परिचय
हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को अम्बाला में हुआ और लाहौर के एफ़.सी. कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की। मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी इनके सहपाठी थे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सीनियर छात्र थे। साहिर लुधियानवी और प्रेम धवन यूनियन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। कॉलेज की पत्रिका में दोनों ने जमकर लिखा। साहिर लुधियानवी ग़ज़ल रचते थे और प्रेम धवन, गीत लिखते थे।
कैरियर
फ़िल्म वचन से मिली कामयाबी
वर्ष 1955 मे प्रदर्शित फिल्म वचन की कामयाबी के बाद प्रेम धवन बतौर गीतकार कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फिल्म वचन का गीत चंदा मामा दूर के श््रोताओं में आज भी लोकप्रिय है। वर्ष 1961 मे संगीत निर्देशक सलिल चौधरी के संगीत निर्देशन में फिल्म काबुली वाला की सफलता के बाद प्रेम धवन शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचे। फिल्म काबुली वाला में पाश्र्वगायक मन्ना डे की आवाज में प्रेम धवन का यह गीत ए मेरे प्यारे वतन ऎ मेरे बिछड़े चमन आज भी श््रोताओं की आंखो को नम कर देता है। वर्ष 1965 प्रेम धवन के सिने कैरियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष प्रेम धवन ने फिल्म शहीद के लिये संगीत निर्देशन किया। फिल्म शहीद के बाद प्रेम धवन ने कई फिल्मों के लिये संगीत दिया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रेम धवन ने नृत्य निर्देशक के तौर पर भी काम किया।
नया दौर के गीत उड़े जब जब जुल्फे तेरी"
वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म नया दौर के गीत "उड़े जब जब जुल्फे तेरी" का नृत्य निर्देशन प्रेम धवन ने किया। इसके अलावा दो बीघा जमीन, सहारा और धूल का फूल में भी प्रेम धवन ने नृत्य निर्देशन किया। प्रेम धवन अपने सिने कैरियर के दौरान इप्टा (इंडियन पीपुल्स थिएटर) के सक्रिय सदस्य बने रहे। त्रिवेणी पिकचर्स के बैनर तले प्रेम धवन ने कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया। इन फिल्मों के जरिये प्रेम धवन ने परिवार नियोजन, राष्ट्रीयता और सामाजिक मुद्दे को दर्शकों के सामने पेश किया। देश भक्ति की भावना से परिपूर्ण प्रेम धवन ने सैनिकों के मनोरंजन के लिये लद्दाख और नाथुला में सुनील दत्त तथा नरगिस दत्त के साथ दौरा करके अपने गीत-संगीत से सैनिकों का मनोरंजन किया। वर्ष 1970 में फिल्म जगत में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। प्रेम धवन ने अपने सिने कैरियर में लगभग 300 फिल्मों के लिये गीत लिखे
प्रेम धवन आगे चलकर कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक नृत्य और संगीत का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 फ़िल्मों में नृत्य निर्देशन किया। फ़िल्म ‘नया दौर’ का 'उड़े जब-जब जुल्फें तेरी'- प्रेम धवन के ही निर्देशन का कमाल था। फ़िल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ के गीत ‘हरियाला सावन ढोल बजाता आया’ में तो प्रेम थिरके भी हैं। जब 'थिएटर ग्रुप' असमय ही बिखरा, तो लेखिका इस्मत चुगताई बॉम्बे टॉकीज ले गईं। जहाँ फ़िल्म ‘ज़िद्दी’ के लिए पहला ब्रेक मिला। गायिका लता मंगेशकर का ‘चंदा जा रे जा रे...’ पहला हिट इसी फ़िल्म में था। यहाँ से बॉम्बे टॉकीज ने गीत लेखन और नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया। अनुबंध के बाद जब स्वतंत्र लेखन किया, तब संगीतकार अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, मदन मोहन और चित्रगुप्त के साथ अच्छा तालमेल रहा। आख़िरी बार प्रेम ने फ़िल्म ‘अप्पूराजा’ के लिए लिखा।
लोकप्रिय गीत
हिन्दी फिल्मों के मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को अम्बाला में हुआ और लाहौर में स्नातक की शिक्षा पूरी की। आपने हिन्दी फिल्मों के लिये कई मशहूर गीत लिखे। प्रेम धवन ना केवल गीतकार थे, वरन आपने हिन्दी फिल्मों के लिये कुछ फिल्मों में संगीत दिया, नृत्य निर्देशन किया और अभिनय तक किया।
जन्म की तारीख और समय: 13 जून 1923, अम्बाला
मृत्यु की जगह और तारीख: 07 मई 2001, मुम्बई
इनाम: राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ गीत
प्रेम धवन रेडियो
महान गीतकार,संगीतकार,नृत्य निर्देशक प्रेम धवन की पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि
प्रेम धवन हिंदी सिनेमा जगत् के मशहूर गीतकार थे। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कई मशहूर गीत लिखे। प्रेम धवन ना केवल गीतकार थे, वरन् इन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कुछ फ़िल्मों में संगीत भी दिया, नृत्य निर्देशन भी किया और अभिनय भी किया। प्रेम धवन ने पं.रवि शंकर से संगीत एवं पंडित उदय शंकर से नृत्य की शिक्षा ली। भारत सरकार ने प्रेम धवन को 1970 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
जीवन परिचय
हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को अम्बाला में हुआ और लाहौर के एफ़.सी. कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की। मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी इनके सहपाठी थे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सीनियर छात्र थे। साहिर लुधियानवी और प्रेम धवन यूनियन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। कॉलेज की पत्रिका में दोनों ने जमकर लिखा। साहिर लुधियानवी ग़ज़ल रचते थे और प्रेम धवन, गीत लिखते थे।
कैरियर
फ़िल्म वचन से मिली कामयाबी
वर्ष 1955 मे प्रदर्शित फिल्म वचन की कामयाबी के बाद प्रेम धवन बतौर गीतकार कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फिल्म वचन का गीत चंदा मामा दूर के श््रोताओं में आज भी लोकप्रिय है। वर्ष 1961 मे संगीत निर्देशक सलिल चौधरी के संगीत निर्देशन में फिल्म काबुली वाला की सफलता के बाद प्रेम धवन शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचे। फिल्म काबुली वाला में पाश्र्वगायक मन्ना डे की आवाज में प्रेम धवन का यह गीत ए मेरे प्यारे वतन ऎ मेरे बिछड़े चमन आज भी श््रोताओं की आंखो को नम कर देता है। वर्ष 1965 प्रेम धवन के सिने कैरियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष प्रेम धवन ने फिल्म शहीद के लिये संगीत निर्देशन किया। फिल्म शहीद के बाद प्रेम धवन ने कई फिल्मों के लिये संगीत दिया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रेम धवन ने नृत्य निर्देशक के तौर पर भी काम किया।
नया दौर के गीत उड़े जब जब जुल्फे तेरी"
वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म नया दौर के गीत "उड़े जब जब जुल्फे तेरी" का नृत्य निर्देशन प्रेम धवन ने किया। इसके अलावा दो बीघा जमीन, सहारा और धूल का फूल में भी प्रेम धवन ने नृत्य निर्देशन किया। प्रेम धवन अपने सिने कैरियर के दौरान इप्टा (इंडियन पीपुल्स थिएटर) के सक्रिय सदस्य बने रहे। त्रिवेणी पिकचर्स के बैनर तले प्रेम धवन ने कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया। इन फिल्मों के जरिये प्रेम धवन ने परिवार नियोजन, राष्ट्रीयता और सामाजिक मुद्दे को दर्शकों के सामने पेश किया। देश भक्ति की भावना से परिपूर्ण प्रेम धवन ने सैनिकों के मनोरंजन के लिये लद्दाख और नाथुला में सुनील दत्त तथा नरगिस दत्त के साथ दौरा करके अपने गीत-संगीत से सैनिकों का मनोरंजन किया। वर्ष 1970 में फिल्म जगत में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। प्रेम धवन ने अपने सिने कैरियर में लगभग 300 फिल्मों के लिये गीत लिखे
प्रेम धवन आगे चलकर कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक नृत्य और संगीत का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 फ़िल्मों में नृत्य निर्देशन किया। फ़िल्म ‘नया दौर’ का 'उड़े जब-जब जुल्फें तेरी'- प्रेम धवन के ही निर्देशन का कमाल था। फ़िल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ के गीत ‘हरियाला सावन ढोल बजाता आया’ में तो प्रेम थिरके भी हैं। जब 'थिएटर ग्रुप' असमय ही बिखरा, तो लेखिका इस्मत चुगताई बॉम्बे टॉकीज ले गईं। जहाँ फ़िल्म ‘ज़िद्दी’ के लिए पहला ब्रेक मिला। गायिका लता मंगेशकर का ‘चंदा जा रे जा रे...’ पहला हिट इसी फ़िल्म में था। यहाँ से बॉम्बे टॉकीज ने गीत लेखन और नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया। अनुबंध के बाद जब स्वतंत्र लेखन किया, तब संगीतकार अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, मदन मोहन और चित्रगुप्त के साथ अच्छा तालमेल रहा। आख़िरी बार प्रेम ने फ़िल्म ‘अप्पूराजा’ के लिए लिखा।
लोकप्रिय गीत
✍️ बोल पपीहे बोल रे (आरजू)
सीने में सुलगते हैं अरमाँ (तराना)चंदा मामा दूर के (वचन)
दिन हो या रात हम रहें तेरे साथ (मिस बॉम्बे)
ज़िंदगी भर गम जुदाई का (मिस बॉम्बे)
छोड़ो कल की बातें (हम हिन्दुस्तानी)
अँखियन संग अँखियाँ लागी (बड़ा आदमी)
ऐ मेरे प्यारे वतन (काबुलीवाला)
तेरी दुनिया से दूर चले हो के मजबूर (ज़बक)
महलों ने छीन लिया बचपन का (ज़बक)
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम (शहीद)
मेरा रंग दे बसंती चोला (शहीद)
तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला (पवित्र पापी)
✍️लेखन शैली
प्रेम धवन भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े। फ़िल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फ़िल्म ‘एक साल’ में नायिका, नायक अशोक कुमार को चाहती है। जब नायक महसूस करता है और लौटकर आता है तब वह कैंसर की मरीज़ होकर मृत्युशैया पर है। इसे अपने दिल की गहराई में उतारकर उन्होंने रचा-
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया
ले-ले के हार फूलों का आई तो थी बहार
नज़रें उठा के हमने ही देखा न एक बार...
आँखों से अब ये पर्दे हटाए तो क्या किया।
निधन
07 मई, 2001 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में प्रेम धवन हृदयाघात (हार्ट अटैक) में चल बसे। दिल को छू लेने वाले गीतों में प्रेम की याद हमेशा बनी रहेगी।
📽️🎶
प्यार का सागर (1961)
Music By: रवि
Lyrics By: प्रेम धवन
Performed By: आशा भोसले, मो.रफ़ी
मुझे प्यार की ज़िन्दगी देने वाले
कभी ग़म ना देना ख़ुशी देने वाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी...
प्यार का सागर फिल्म के गाने
मोहब्बत के वादे भुला तो न दोगे
कहीं मुझसे दामन छुड़ा तो न लोगे
मेरे दिल की दुनिया है तेरे हवाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी...
ज़माने में तुमसे, नहीं कोई प्यारा
ये जाँ भी तुम्हारी, ये दिल भी तुम्हारा
जो ना हो यकीं तो कभी आज़मा ले
मुझे प्यार की ज़िंदगी...
भरोसा है हमको मोहब्बत पे तेरी
तो फिर हँस के देखो निगाहों में मेरी
ये डर है ज़माना जुदा कर ना डाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी...
हिट धवन गीत कार के रूप में
अप्पू राजा (1989)
दो दिल दीवाने (1980)
गुरु मानियो ग्रंथ (1977)
सवा लाख से एक लड़ाऊं (1976)
किसान और भगवान (1974)
पूरब और पश्चिम (1970)
गीत (1970)
पवित्र पापी (1970)
नानक दुखिया सब संसार (1970) पंजाबी फिल्म
मेरा नाम जोकर (1970)
एक फूल दो माली (1969)
दस लाख (1966)
शहीद (1965)
आधी रात के बाद (1965)
दारासिंह: आयरनमैन (1964)
शबनम (1964)
कोबरा गर्ल (1963)
वल्लाह क्या बात है (1962)
मा बेटा (1962)
काबुलीवाला (1961)
ज़बक (1961)
तेल मालिश बूट पॉलिश (1961)
शोला और शबनम (1961)
गेस्ट हाउस (1959)
हीरा मोती (1959)
जागते रहो (1956)
तांगेवाली (1955)
वचन (1955)
आसमान (1952)
तराना (1951)
आराम (1950)
जीत (1949)
संगीत कार के रूप में
रात के अँधेरे में (1987)
नक्सली (1980)
सवा लाख से एक लड़ाऊं (1976)
भगत धन्ना जाट (1974)
किसान और भगवान (1974)
मेरा देश मेरा धरम (1973)
भारत के शहीद (1972)
नानक दुखिया सब संसार (1970)
पवित्र पापी (1970)
केनर (1968)
शहीद (1965)
वीर अभिमन्यु (1965)
आधी रात के बाद (1965)
दारासिंह: आयरनमैन (1964)
हिंदुस्तान हमारा (डॉक्यूमेंट्री - 1950)
भारत के शहीद (1972)
कोरियो ग्राफर के रूप में
वक़्त (1965)
धूल का फूल (1959)
दो फूल (1958)
सहारा (1958)
नया दौर (1957)
वचन
दो बीघा जमीन (1953)
आरज़ू (1950)
शीश महल (1950 फ़िल्म) (1950)
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