गोविंद सदाशिव ,गोविंदराव टेम्बे
गोविंद सदाशिव ,गोविंदराव टेम्बे🎂05 जून 1881⚰️09 अक्टूबर 1955
जिन्हें गोविंदराव टेम्बे भी कहते है
🎂05 जून 1881
⚰️09 अक्टूबर 1955
जिन्हें गोविंदराव टेम्बे भी कहते है
🎂05 जून 1881
⚰️09 अक्टूबर 1955
पुत्र माधवराव टेम्बे, पोता दीपक टेम्बे।
गोविंदराव टेम्बे के नाम से जाना जाता है, एक हारमोनियम वादक, मंच अभिनेता और संगीतकार थे।
उनका जन्म 5 जून 1881 में कोल्हापुर में हुआ
वह कोल्हापुर में ही पले-बढ़े और जीवन की शुरुआत में ही संगीत से जुड़ गए। उन्होंने हारमोनियम बजाना खुद से सीखा उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपनी शुरुआती शिक्षा देवल क्लब से ली
तेम्बे ने अपनी संगीत कला भास्करबुवा बाखले से सीखी और, हालांकि उन्हें जयपुर घराने के अल्लादिया खान से प्रत्यक्ष मार्गदर्शन कभी नहीं मिला मगर तेम्बे ने खान साहब को अपना गुरु माना और वह पं. भास्करबुवा बाखले के साथ प्रदर्शन करने के लिए जाते थे और अक्सर एकल प्रदर्शन भी करते थे, लेकिन बाद में अपने कैरियर में उन्होंने हारमोनियम बजाना छोड़ दिया।
उन्होंने 1910 में नाटक मनपमन के लिए संगीत तैयार किया, और पहले मराठी टॉकी फ़िल्म अयोध्याचा राजा (1932) में भी संगीत दिया उन्होंने इन दोनों प्रस्तुतियों में भी अभिनय भी किया।
वह मैसूर के स्वर्गीय युवराज, एचएच श्री कांतिर्वा नरसिम्हा राजा वाडियार के घनिष्ठ मित्र थे प्रो. टेम्बे 1939 में अपनी यूरोप यात्रा के दौरान युवराज के एक बड़े दल का हिस्सा थे। इस यात्रा के दौरान ट्रूप ने पोप के सामने और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया। विश्व युद्ध छिड़ने के कारण वे लंबे समय तक लंदन में रहे और अंततः जनवरी 1940 में लौट आए लेकिन युवराज की जल्द ही मार्च 1940 में उनके पैलेस एंकोरेज (होटल ताज के बगल में) में मृत्यु हो गई और प्रो. टेम्बे ने अपने संरक्षक को खो दिया।
1913 में जब यह गंधर्व नाटक मंडली का गठन किया गया था तब वह उसके हिस्सेदार थे। दो साल बाद, उन्होंने शिवराज नाटक मंडली नाम से अपनी खुद की कंपनी शुरू की। उन्होंने नाटक और उनमें गीत भी लिखे।
9 अक्टूबर 1955 में उनका निधन हो गया
गोविंदराव टेम्बे के नाम से जाना जाता है, एक हारमोनियम वादक, मंच अभिनेता और संगीतकार थे।
उनका जन्म 5 जून 1881 में कोल्हापुर में हुआ
वह कोल्हापुर में ही पले-बढ़े और जीवन की शुरुआत में ही संगीत से जुड़ गए। उन्होंने हारमोनियम बजाना खुद से सीखा उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपनी शुरुआती शिक्षा देवल क्लब से ली
तेम्बे ने अपनी संगीत कला भास्करबुवा बाखले से सीखी और, हालांकि उन्हें जयपुर घराने के अल्लादिया खान से प्रत्यक्ष मार्गदर्शन कभी नहीं मिला मगर तेम्बे ने खान साहब को अपना गुरु माना और वह पं. भास्करबुवा बाखले के साथ प्रदर्शन करने के लिए जाते थे और अक्सर एकल प्रदर्शन भी करते थे, लेकिन बाद में अपने कैरियर में उन्होंने हारमोनियम बजाना छोड़ दिया।
उन्होंने 1910 में नाटक मनपमन के लिए संगीत तैयार किया, और पहले मराठी टॉकी फ़िल्म अयोध्याचा राजा (1932) में भी संगीत दिया उन्होंने इन दोनों प्रस्तुतियों में भी अभिनय भी किया।
वह मैसूर के स्वर्गीय युवराज, एचएच श्री कांतिर्वा नरसिम्हा राजा वाडियार के घनिष्ठ मित्र थे प्रो. टेम्बे 1939 में अपनी यूरोप यात्रा के दौरान युवराज के एक बड़े दल का हिस्सा थे। इस यात्रा के दौरान ट्रूप ने पोप के सामने और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया। विश्व युद्ध छिड़ने के कारण वे लंबे समय तक लंदन में रहे और अंततः जनवरी 1940 में लौट आए लेकिन युवराज की जल्द ही मार्च 1940 में उनके पैलेस एंकोरेज (होटल ताज के बगल में) में मृत्यु हो गई और प्रो. टेम्बे ने अपने संरक्षक को खो दिया।
1913 में जब यह गंधर्व नाटक मंडली का गठन किया गया था तब वह उसके हिस्सेदार थे। दो साल बाद, उन्होंने शिवराज नाटक मंडली नाम से अपनी खुद की कंपनी शुरू की। उन्होंने नाटक और उनमें गीत भी लिखे।
9 अक्टूबर 1955 में उनका निधन हो गया
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