भारत भूषण 🎂
भारत भूषण🎂14 जून 1920⚰️मृत्यु: 27 जनवरी, 1992
🎂जन्म: 1920;
⚰️मृत्यु: 27 जनवरी, 1992
हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। अपने अभिनय के रंगों से कालिदास, तानसेन, कबीर और मिर्ज़ा ग़ालिब जैसे ऐतिहासिक चरित्रों को नया रूप देने वाले अभिनेता रहे।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 1920 में जन्मे भारत भूषण गायक बनने का ख्वाब लिए मुंबई की फ़िल्म नगरी में पहुंचे थे, लेकिन जब इस क्षेत्र में उन्हें मौका नहीं मिला तो उन्होंने निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा की 1941 में निर्मित फ़िल्म 'चित्रलेखा' में एक छोटी भूमिका से अपने अभिनय की शुरुआत कर दी। 1951 तक अभिनेता के रूप में उनकी ख़ास पहचान नहीं बन पाई। इस दौरान उन्होंने भक्त कबीर (1942), भाईचारा (1943), सुहागरात (1948), उधार (1949), रंगीला राजस्थान (1949), एक थी लड़की (1949), राम दर्शन (1950), किसी की याद (1950), भाई-बहन (1950), आँखेंं (1950), सागर (1951), हमारी शान (1951), आनंदमठ और माँ (1952) फ़िल्मों में काम किया।
बैजू बावरा ने दी नई दिशा
भारत भूषण के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट की क्लासिक फ़िल्म बैजू बावरा से चमका। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फ़िल्म की गोल्डन जुबली कामयाबी ने न सिर्फ विजय भट्ट के प्रकाश स्टूडियो को ही डूबने से बचाया, बल्कि भारत भूषण और फ़िल्म की नायिका मीना कुमारी को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। आज भी इस फ़िल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। ओ दुनिया के रखवाले.., मन तड़पत हरि दर्शन को आज.., तू गंगा की मौज में जमुना का धारा.., बचपन की मुहब्बत को.., इंसान बनो कर लो भलाई का कोई काम.., झूले में पवन के आई बहार.., और दूर कोई गाए.. धुन ये सुनाए जैसे फ़िल्म के इन मधुर गीतों की तासीर आज भी बरकरार है। इस फ़िल्म से जुडे़ कई रोचक पहलू हैं। निर्माता विजय भट्ट फ़िल्म के लिए दिलीप कुमार और नर्गिस के नाम पर विचार कर रहे थे, लेकिन संगीतकार नौशाद ने उन्हें अपेक्षाकृत नए अभिनेता-अभिनेत्री को फ़िल्म में लेने पर जोर दिया। इसी फ़िल्म के लिए नौशाद ने तानसेन और बैजू के बीच प्रतियोगिता का गाना शास्त्रीय गायन के धुरंधर उस्ताद आमिर खान और पंडि़त डी.वी. पलुस्कर से गवाया। फ़िल्म की एक और दिलचस्प बात यह थी कि इसके संगीतकार, गीतकार, शकील बदायूंनी और गायक मोहम्मद रफी तीनों ही मुसलमान थे और उन्होंने मिलकर भक्ति गीत 'मन तपड़त हरिदर्शन को आज..' जैसी उत्कृष्ट रचना का सृजन किया था। बैजू बावरा की सफलता से उत्साहित यही टीम एक बार फिर श्री चैतन्य महाप्रभु फ़िल्म के लिए जुड़ी और इसमें सशक्त अभिनय के लिए भारत भूषण को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। कलाकारों, साहित्यकारों, संगीतकारों, भक्तों और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को अपने सहज स्वाभाविक अभिनय के रंगों से परदे पर जीवंत करने का भारत भूषण का यह सिलसिला आगे भी जारी रहा।
मिर्ज़ा ग़ालिब में शानदार अदाकारी
भारत भूषण के फ़िल्मी करियर में निर्माता-निर्देशक सोहराब मोदी की फ़िल्म मिर्ज़ा ग़ालिब का अहम स्थान है। इस फ़िल्म में भारत भूषण ने शायर मिर्ज़ा ग़ालिब के किरदार को इतने सहज और असरदार ढंग से निभाया कि यह गुमां होने लगता है कि ग़ालिब ही परदे पर उतर आए हों। बेहतरीन गीत-संगीत, संवाद और अभिनय से सजी यह फ़िल्म बेहद कामयाब रही और इसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और सर्वश्रेष्ठ संगीत के राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। इस फ़िल्म के लिए गजलों के बादशाह तलत महमूद की मखमली और गायिका, अभिनेत्री सुरैया की मिठास भरी आवाजों में गाई गई गजलें और गीत 'बेहद मकबूल हुए .., आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक.., फिर मुझे दीदए तर याद आया.., दिले नादां तुझे हुआ क्या है.., मेरे बांके बलम कोतवाल.., कहते हैं कि गालिब का है अंदाज-ए-बयां कुछ और भारत भूषण ने लगभग 143 फ़िल्मों में अपने अभिनय की विविधरंगी छटा बिखेरी और अशोक कुमार, दिलीप कुमार, राजकपूर तथा देवानंद जैसे कलाकारों की मौजूदगी में अपना एक अलग मुकाम बनाया।
वर्ष 1967 में प्रदर्शित फ़िल्म 'तकदीर नायक' के रूप में भारत भूषण की अंतिम फ़िल्म थी। इसके बाद वह माहौल और फ़िल्मों के विषय की दिशा बदल जाने पर चरित्र अभिनेता के रूप में काम करने लगे, लेकिन नौबत यहां तक आ गई कि जो निर्माता-निर्देशक पहले उनको लेकर फ़िल्म बनाने के लिए लालायित रहते थे। उन्होंने भी उनसे मुंह मोड़ लिया। इस स्थिति में उन्होंने अपना गुजारा चलाने के लिए फ़िल्मों में छोटी-छोटी मामूली भूमिकाएँ करनी शुरू कर दीं। बाद में हालात ऐसे हो गए कि भारत भूषण को फ़िल्मों में काम मिलना लगभग बंद हो गया। तब मजबूरी में उन्होंने छोटे परदे की तरफ रुख़ किया और दिशा तथा बेचारे गुप्ताजी जैसे धारावाहिकों में अभिनय किया। हालात की मार और वक्त के सितम से बुरी तरह टूट चुके हिंदी फ़िल्मों के स्वर्णिम युग के इस अभिनेता ने आखिरकार 27 जनवरी 1992 को 72 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
📽️
चित्रलेखा (1941)
भक्त कबीर (1942)
भाईचारा (1943)
सावन (1945)
सुहाग रात (1948)
रंगीला राजस्थान (1949)
उधार (1949)
थेस (1949)
आंखें (1950)
भाई बहन (1950)
जन्माष्टमी (1950)
किसी की याद (1950)
राम दर्शन (1950)
हमारी शान (1951)
सागर (1951)
बैजू बावरा (1952)
माँ (1952)
आनंद मठ (1952)
पहेली शादी (1953)
दाना पानी (1953)
फरमाइश (1953)
लड़की (1953)
शुक रंभा (1953)
शबाब (1954)
मीनार (1954)
पूजा (1954)
श्री चैतन्य महाप्रभु (1954)
कवि (1954)
धूप छाँव (1954)
औरत तेरी यही कहानी (1954)
मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)
अमानत (1955)
बसंत बहार (1956)
साक्षी गोपाल (1957)
मेरा सलाम (1957)
चम्पाकली (1957)
गेटवे ऑफ इंडिया (1957)
रानी रूपमती (1957)
सम्राट चंद्रगुप्त (1958)
फागुन (1958)
सोहनी महिवाल (1958)
सावन (1959)
कल हमारा है (1959)
अंगुलिमाल (1960) अहिंसाक उर्फ अंगुलिमाल के रूप में
बरसात की रात (1960)
घूँघट (1960)
चाँदी की देवर (1960)
ग्यारा हज़ार लड़कियान (1962)
संगीत सम्राट तानसेन (1962)
जहाँ आरा (1964)
दूज का चाँद (1964)
नया कानून (1965)
तक़दीर (1967)
प्यार का मौसम (1969)
विश्वास (1969)
गोमती के किनारे (1972) भारत के रूप में
कहानी किस्मत की (1973) डॉक्टर के रूप में
रंगा ख़ुश (1975)
सोलह शुक्रवार (1977) भोला भगत के रूप में
हीरा और पत्थर (1977) तुलसीराम के रूप में
खून पसीना (1977) काका के रूप में
नवाब साहब (1978)
यूनीस-बीज़ (1980)
खारा खोटा (1981)
याराना (1981)
कमांडर (1981)
उमराव जान (1981) खान साहब (संगीत मास्टर) के रूप में
आदि शंकराचार्य (1983)
नास्तिक (1983) मंदिर के पुजारी के रूप में
जस्टिस चौधरी (1983)
हीरो (1983) जयकिशन के पिता रामू की भूमिका में
ज़ख्मी शेर (1984)
शराबी (1984) मास्टरजी के रूप में
फाँसी के बाद (1985)
मेरा साथी (1985)
मेरा धरम (1986)...बाबा
काला ढांडा गोरे लोग (1986)...महाराज
घर संसार (1986)...रहीम चाचा
हिम्मत और मेहनत (1987)... होटल में ग्राहक (विशेष उपस्थिति)
रामायण टीवी सीरियल (1987) में गोस्वामी तुलसीदास की भूमिका
प्यार का मंदिर (1988)
सोने पे सुहागा (1988)...काशीनाथ
मालामाल (1988) श्री मंगतराम के प्रबंधक के रूप में
अभी तो मैं जवान हूं (1989)
चांदनी (1989) डॉक्टर के रूप में
इलाका (1989) सूटकेस वाले आदमी के रूप में
घराना (1989) राधा के पिता के रूप में
तूफान (1989) हनुमान मंदिर में पुजारी के रूप में
जादूगर (1989) ज्ञानेश्वर के रूप में
जॉन के रूप में बाप नंबरी बेटा दस नंबरी (1990)।
मजबूर (1989 फ़िल्म) जज के रूप में
शेषनाग (1990)
बागी (1990) आशा पिता के रूप में
प्यार का देवता (1991) डॉक्टर के रूप में
कर्ज़ चुकाना है (1991) कॉलेज प्रिंसिपल के रूप में
इरादा (1991)
प्रेम क़ैदी (1991) सूर्यनाथ के रूप में
स्वर्ग यहाँ नरक यहाँ (1991) स्कूल प्रिंसिपल के रूप में
हमशक्ल (1992) जज के रूप में
आखिरी चेतवानी (1993)
🏆पुरस्कार -
● 1955: चैतन्य महाप्रभु के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता
● 1956: मिर्जा गालिब के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार के लिए नामांकित।
🎧 भारत भूषण के प्रसिद्ध गीत -
● मन तड़पत हरि दर्शन को... बैजू बावरा (1952) मोहम्मद रफ़ी द्वारा
● दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या... मिर्ज़ा ग़ालिब (1954) तलत महमूद, सुरैया द्वारा
● सुर ना सजे क्या गाऊं मैं सुर के बिना... बसंत बहार (1956) मन्ना डे द्वारा
● दो घड़ी वो जो पास आ बैठे... गेटवे ऑफ इंडिया (1957) मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर द्वारा
● एक परदेसी मेरा दिल ले गया... फागुन (1958) मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले द्वारा
● आ लौट के आजा मेरे मिलना, तुझे मेरे गीत... रानी रूपमती (1959) मुकेश द्वारा
● जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की... बरसात की रात (1960) मोहम्मद द्वारा। रफी
● झूमती चली हवा, याद आ गया कोई.. संगीत सम्राट तानसेन (1962) मुकेश द्वारा
● फिर वही शाम, वही गम, वही तन्हाई है... जहां आरा (1964) तलत महमूद द्वारा
● जब जब बहार आये, मुझे तुम याद आये...तकदीर (1967) मोहम्मद द्वारा। रफी
● तुम बिन जाऊं कहां - प्यार का मौसम (1969) किशोर कुमार द्वारा।
● मैंने शायद तुम्हें पहले भी कहीं देखा है... बरसात की रात (1960) मोहम्मद रफी द्वारा
Comments
Post a Comment