गोहर कानपुरी
गीतकार गौहर कानपुरी
🎂01 अक्टूबर 1932
कानपुर
उत्तर प्रदेश
⚰️29 जून 2002
मुंबई
उनका बचपन कानपुर में बीता वह स्कूल टाइम से जब वह किशोरावस्था में थे तभी से शायरी करने लगे वयस्क होने के बाद उन्होंने लेखन में ही अपना कैरियर बनाने की सोची और बॉम्बे चले गये
10 साल के संघर्ष के बाद उन्हें 1967 में सलीम प्रोडक्शन की फ़िल्म प्यार की जीत में एक गीत लिखने का अवसर मिला गीत के बोल थे बड़े हसीन है सर को झुकाये बैठे है इस गीत को जिम्मी ने कंपोज़ किया था और महेन्द्र कपूर उषा मंगेशकर ने गाया था इस गीत के लिखने के लगभग तीन साल बाद उन्हें दूसरी फिल्म
1969 में उस रात के बाद मिली उसके बाद उन्हें
शिव भक्त बाबा बालकनाथ (1972)
कोरा आँचल (1973)
नन्हा शिकारी (1973)
एक हंस का जोड़ा (1975)
जैसी फिल्मों में एक या दो गाने लिखने का अवसर मिला
फ़िल्म नन्हा शिकारी में गीत लिखने के दौरान उनकी मुलाकात बप्पी लहरी से हुई जो इस फ़िल्म से अपने संगीत निर्देशन कैरियर की शुरुआत कर रहे थे
फ़िल्म ज़ख़्मी (1975) करने के लिये बप्पी लहरी और गौहर कानपुरी ने मिलकर आपस मे एक टीम बनाई इस फ़िल्म ने इन दोनों के सफलता के दरवाजे खोल दिये गौहर कानपुरी की यह पहली फ़िल्म थी जिसके सारे गाने उन्होंने लिखे थे
जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातों में एवं अभी अभी थी दुश्मनी अभी है दोस्ती गाने काफी लोकप्रिय हुये गौहर कानपुरी अगले पच्चीस सालों तक गीत लिखते रहे मगर उन्होंने ज़्यादातर गीत बप्पी लहरी के लिए लिखे
बप्पी लहरी के साथ उन्होंने
संग्राम (1976)
हैवान (1977)
फिर जन्म लेंगे हम (1977)
प्रतिमा और पायल (1977)
खून की पुकार (1978)
शिक्षा (1979)
जान-ए-बहार (1979)
जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे लेकिन गौहर कानपुरी को फ़िल्म ज़ख़्मी वाली सफलता नही मिली उनको सफलता न मिलने का कारण यह था कि उनको कभी स्वतंत्र प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर कभी नही मिला क्योकि जिस फ़िल्म में उन्होंने गीत लिखे उसमे एक दो गीतकार और शामिल रहते थे उनके हिस्से में एक या दो ही गीत आते थे
उनके कुछ यादगार गीत है
सावन देखो आया बरखा ने प्यार बरसाया फ़िल्म दो खिलाड़ी (1976)
चांद की पायलिया बोले छम फ़िल्म ( संग्राम)
मंगनी को बरसे हुए कहाँ है शादी का वादा फ़िल्म( प्रतिमा और पायल)
आंखों में तो है बरसात मगर है सुलगे हुए जज़्बात फ़िल्म( खून की पुकार)
तेरी छोटी सी एक भूल ने सारा गुलशन जला दिया फ़िल्म ( शिक्षा)
तुम्हे गीतों में ढालूँगा फ़िल्म ( सावन को आने दो)
मोरे नैनो में नंदलाला फ़िल्म (शादी से पहले)
ऐ दूल्हे राजा बाजे बैंड बाजा फ़िल्म ( वक्त की पुकार)
रोने न दिया जायेगा फ़िल्म (जान तेरे नाम)
ऐ मेरे हमसफर फ़िल्म ( बाज़ीगर)
अपने पूरे कैरियर के दौरान गौहर कानपुरी ने 120 फिल्मो में लगभग 300 गाने लिखे
उन्होंने कुछ नॉन फिल्मी गीत भी लिखे जो काफी लोकप्रिय हुए
जैसे बम भोले शिव दानी,बाबा भोले शंकर राखो सुरेश वाडकर द्वारा गाया हुआ
चलो भोले बाबा के द्वारा हरिहरन द्वारा गाया हुआ
गुर्दे की बीमारी के कारण गौहर कानपुरी का 70 साल की उम्र में मुम्बई में 29 जून 2002 में निधन हो गया
🎂01 अक्टूबर 1932
कानपुर
उत्तर प्रदेश
⚰️29 जून 2002
मुंबई
उनका बचपन कानपुर में बीता वह स्कूल टाइम से जब वह किशोरावस्था में थे तभी से शायरी करने लगे वयस्क होने के बाद उन्होंने लेखन में ही अपना कैरियर बनाने की सोची और बॉम्बे चले गये
10 साल के संघर्ष के बाद उन्हें 1967 में सलीम प्रोडक्शन की फ़िल्म प्यार की जीत में एक गीत लिखने का अवसर मिला गीत के बोल थे बड़े हसीन है सर को झुकाये बैठे है इस गीत को जिम्मी ने कंपोज़ किया था और महेन्द्र कपूर उषा मंगेशकर ने गाया था इस गीत के लिखने के लगभग तीन साल बाद उन्हें दूसरी फिल्म
1969 में उस रात के बाद मिली उसके बाद उन्हें
शिव भक्त बाबा बालकनाथ (1972)
कोरा आँचल (1973)
नन्हा शिकारी (1973)
एक हंस का जोड़ा (1975)
जैसी फिल्मों में एक या दो गाने लिखने का अवसर मिला
फ़िल्म नन्हा शिकारी में गीत लिखने के दौरान उनकी मुलाकात बप्पी लहरी से हुई जो इस फ़िल्म से अपने संगीत निर्देशन कैरियर की शुरुआत कर रहे थे
फ़िल्म ज़ख़्मी (1975) करने के लिये बप्पी लहरी और गौहर कानपुरी ने मिलकर आपस मे एक टीम बनाई इस फ़िल्म ने इन दोनों के सफलता के दरवाजे खोल दिये गौहर कानपुरी की यह पहली फ़िल्म थी जिसके सारे गाने उन्होंने लिखे थे
जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातों में एवं अभी अभी थी दुश्मनी अभी है दोस्ती गाने काफी लोकप्रिय हुये गौहर कानपुरी अगले पच्चीस सालों तक गीत लिखते रहे मगर उन्होंने ज़्यादातर गीत बप्पी लहरी के लिए लिखे
बप्पी लहरी के साथ उन्होंने
संग्राम (1976)
हैवान (1977)
फिर जन्म लेंगे हम (1977)
प्रतिमा और पायल (1977)
खून की पुकार (1978)
शिक्षा (1979)
जान-ए-बहार (1979)
जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे लेकिन गौहर कानपुरी को फ़िल्म ज़ख़्मी वाली सफलता नही मिली उनको सफलता न मिलने का कारण यह था कि उनको कभी स्वतंत्र प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर कभी नही मिला क्योकि जिस फ़िल्म में उन्होंने गीत लिखे उसमे एक दो गीतकार और शामिल रहते थे उनके हिस्से में एक या दो ही गीत आते थे
उनके कुछ यादगार गीत है
सावन देखो आया बरखा ने प्यार बरसाया फ़िल्म दो खिलाड़ी (1976)
चांद की पायलिया बोले छम फ़िल्म ( संग्राम)
मंगनी को बरसे हुए कहाँ है शादी का वादा फ़िल्म( प्रतिमा और पायल)
आंखों में तो है बरसात मगर है सुलगे हुए जज़्बात फ़िल्म( खून की पुकार)
तेरी छोटी सी एक भूल ने सारा गुलशन जला दिया फ़िल्म ( शिक्षा)
तुम्हे गीतों में ढालूँगा फ़िल्म ( सावन को आने दो)
मोरे नैनो में नंदलाला फ़िल्म (शादी से पहले)
ऐ दूल्हे राजा बाजे बैंड बाजा फ़िल्म ( वक्त की पुकार)
रोने न दिया जायेगा फ़िल्म (जान तेरे नाम)
ऐ मेरे हमसफर फ़िल्म ( बाज़ीगर)
अपने पूरे कैरियर के दौरान गौहर कानपुरी ने 120 फिल्मो में लगभग 300 गाने लिखे
उन्होंने कुछ नॉन फिल्मी गीत भी लिखे जो काफी लोकप्रिय हुए
जैसे बम भोले शिव दानी,बाबा भोले शंकर राखो सुरेश वाडकर द्वारा गाया हुआ
चलो भोले बाबा के द्वारा हरिहरन द्वारा गाया हुआ
गुर्दे की बीमारी के कारण गौहर कानपुरी का 70 साल की उम्र में मुम्बई में 29 जून 2002 में निधन हो गया
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