यश गोहर

#26jun 
#06sep 
यश जौहर
🎂06 सितंबर 1929, अमृतसर
⚰️ 26 जून 2004, 
मुम्बई
बच्चे: करण जौहर
पत्नी: हीरू जौहर (विवा. 1971–2004)
इनाम: फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म
"यश जोहर" 
भारतीय हिंदी सिनेमा के एक प्रसिद्ध निर्माता थे। इन्होने धर्मा प्रोडक्शन की स्थापना १९७६ में की थी। ये अपनी भव्यता के कारण भारत के साथ विदेशो में भी प्रसिद्ध है।
जौहर का 🎂जन्म 06 सितंबर 1929 को अमृतसर , पंजाब में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनकी शादी फिल्म निर्माता बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा की बहन हीरू से हुई थी । ⚰️ 26 जून 2004 को मुंबई में 74 साल की उम्र में सीने में संक्रमण के कारण उनकी मृत्यु हो गई , हालाँकि वे कैंसर से भी जूझ रहे थे। उनकी मृत्यु के बाद, उनके बेटे ने धर्मा प्रोडक्शंस को संभाला ।

उनकी परवरिश शिमला, कुछ समय के लिए लाहौर और फिर दिल्ली में हुई। यश का मुंबई आना सिर्फ और सिर्फ उनकी दादी की बदौलत मुमकिन हुआ। उनकी दादी हमेशा उनसे कहा करती थीं कि 'तू यहां रहने के लिए नहीं बल्कि कुछ अच्छा करने के लिए जन्मा है।' उन्होंने ही उन्हें घर से भागकर मुंबई आने की सलाह दी। जी हां, दादी ने अपने कुछ गहने और कैश देकर पोते को घर से भगाया था। ऐसा करने से हफ्ताभर पहले ही उन्होंने घर में माहौल बना दिया था कि उनके पैसे चोर ले गए हैं। इस तरह यश चोपड़ा मुंबई पहुंचे।
बात है 50s की, मुंबई आने के बाद यश जौहर को 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में फोटोग्राफर की नौकरी मिल गई। वह एक दिन फोटोज के सिलसिले में मधुबाला से मिले। एक्ट्रेस को यश जौहर का स्वभाव काफी पसंद आया। उन्होंने न केवल फोटोशूट करवाया बल्कि कंपनी में काम भी दिलवाया। इस तरह यश जौहर प्रोडक्शन हाउस में बतौर कर्मचारी जुड़ गए। इस दौरान यश जौहर ने शशधर मुखर्जी से लेकर सुनील दत्त के प्रोडक्शन हाउस में भी बतौर प्रोडक्शन कंट्रोलर काम किया।
60s में आते-आते यश जौहर को अगली नौकरी मिली देवानंद के प्रोडक्शन हाउस 'नवनिकेतन फिल्म्स' में। यहां उन्होंने 12 साल तक नौकरी की। देवानंद से उनके संबंध काफी अच्छे रहे। साथ ही वह इंडस्ट्री के तमाम स्टार्स से अवगत थे। पूरी इंडस्ट्री उन्हें जानने लगी थी और उनके स्वभाव के चलते उन्हें पसंद करते थे।
साल 1976 में यश जौहर ने करियर में बड़ा कदम उठाया। उन्होंने खुद की कंपनी खड़ी की। उन्होंने धर्मा प्रोडक्शन की नींव रखी और इसमें पहली फिल्म 'दोस्ताना' बनाई। वही 'दोस्ताना', जिसमें अमिताभ बच्चन नजर आए थे और जावेद-सलीम ने कहानी लिखी थी। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही।
मगर इसके बाद वह एक भी हिट देने के लिए तरस गए। लगातार 18 साल तक उनकी कंपनी बड़ी हिट देने में नाकामयाब रही। उन्होंने 'अग्निपथ', 'दुनिया', 'ड्यूपलिकेट' से लेकर 'गुमराह' जैसी फिल्मों का निर्माण किया। मगर उनका प्रोडक्शन हाउस आर्थिक तंगी से जूझने लगा।
वहीं दूसरी ओर उनकी पर्सनल लाइफ में सब चंगा चल रहा था। इंडस्ट्री में सभी लोगों के साथ उनका परिवार जैसा संबंध बन चुका था। एक्ट्रेस साधना और वहीदा रहमान उनकी राखी सिस्टर बन चुकी थीं। इस बीच उनकी जिंदगी में 27 साल की हीरू की एंट्री हुई।हीरू शुरुआत में एयरहॉस्टेज बनना चाहती थीं मगर परिवार की इजाजत नहीं मिली तो वह दूसरी नौकरी करने लगी। वह काम के सिलसिले में रोम भी गई थीं। 39 साल के यश जौहर ने पहली बार हीरू को रेसकोर्स में देखा था। बिल्कुल फिल्मी अंदाज में उन्हे हीरू से प्यार हो गया था। पहली ही नजर में वह उन्हें दिल दे बैठे। दोनों के बीच थोड़ी बहुत बातचीत हुआ करती थी। एक बार, हीरो के जन्मदिन पर उन्होंने एक पार्टी भी रखी थी। वहां तमाम स्टार्स शामिल हुए। वहीं यश ने हीरू को शादी के लिए प्रपोज किया। इस तरह दोनों की शादी हुई और उन्हें जीवनसाथी मिल गईं। शादी के एक साल बाद दोनों के घर करण जौहर का जन्म हुआ।
यश जौहर की प्रोफेशनल करियर को बैलेंस करने के लिए अमेरिका और फ्रांस से हैंडक्राफ्ट का बिजनेस भी करते थे। ताकि प्रोडक्शन हाउस में होने वाले घाटे को झेला जाए। मगर करण जौहर जब बड़े हुए और उन्होंने पिता का कामकाज संभाला तो उन्हें काफी मदद मिली। करण जौहर ने पहली फिल्म लिखी 'कुछ कुछ होता है'। उन्होंने इसे डायरेक्ट भी किया। सिनेमाघरों में ये जबरदस्त हिट भी हुई।
⚰️यश जौहर को कैंसर हुआ था। कुछ महीने उन्होंने इस जंग को लड़ा। मगर साल 26 जून 2004, मुंबई में उनका निधन हो गया। निधन के बाद अनिल अंबानी को वह एक लेटर सौंपकर गए थे। जिसमें कामकाज से लेकर तमाम कारोबार की जरूरी बातें लिखी थी।
🎥
दोस्ताना (1980)
दुनिया (1984)
मुकद्दर का फैसला (1987)
अग्निपथ (1990)
गुमराह (1993)
डुप्लिकेट (1998)
कुछ कुछ होता है (1998)
कभी ख़ुशी कभी ग़म... (2001)
कल हो ना हो (2003)

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